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मई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कामयाबी के सुत्र।

1) काम को *आनन्द*  के साथ करो। 2) *बहाने* मत बनाओ। 3) रोज़ *08 घंटे* काम करो। 4) जहां जरूरत हो *तारीफ* जरूर करें। 5)ज़िन्दगी में किसी भी एक आदमी को *बिज़नेस गुरु* जरूर बनाये और उसका कहना माने तथा इज़्ज़त करें। 6)आपका *समय ज़िंदगी* का कीमती हिस्सा है इसे बेकार न करें। 7)अपने आपको *व्यापारी* समझें और व्यापारी की तरह व्यापार *बढ़ाने* में खर्च करें। 8)एक अच्छा *श्रोता* बने! 9)सम्बंध *गहरे और लंबे समय* के लिए बनाये। 10) अपने *ज्ञान* को रोज़ बढ़ाएं। 11) *नकारात्मक* लोगों से दूर रहे। 12) याद रखें *कौआ* कौए के साथ और *बाज़* बाज़ के साथ उड़ता है। 13) *तकनीकी* रूप से अपडेटेड रहें। 14) *टारगेट रोज़* का होना चाहिए। 15) *सामाजिक* बने। 16) अपनी *कीमत* खुद लगाए। 17) जो *दिखेगा* वही *बिकेगा*। 18) *बदलाव* सृष्टि का नियम है। 19) ज्यादा कामना सिर्फ *जरूरत* नही आपका *हक* भी है और *ज़िम्मेवारी* भी! 20)  अपने *स्वास्थ्य* को सही रखने के *शारीरिक* , *मानसिक* और *आत्मिक* कसरत करे।

भोजन के चमत्कार है ।

*भोजन के प्रकार*   *भीष्म पितामह ने   गीता में अर्जुन को 4 प्रकार से भोजन ना करने के लिए  बताया था।*   👉🏿1) पहला भोजन- जिस भोजन की थाली को कोई लांघ कर गया हो वह भोजन की थाली नाले में पड़े कीचड़ के समान होती है। 👉🏿2) दूसरा भोजन- जिस भोजन की थाली में ठोकर लग गई ,पाव लग गया वह भोजन की थाली भिष्टा के समान होता है। 👉🏿3) तीसरे प्रकार का भोजन -जिस भोजन की थाली में बाल पड़ा हो, केश पड़ा हो वह दरिद्रता के समान होता है। 👉🏿4) चौथे नंबर का भोजन -अगर पति और पत्नी एक ही थाली में भोजन कर रहे हो तो वह मदिरा के तुल्य होता है। विषेश सूचना --  और सुन अर्जुन-  बेटी अगर कुवारी हो और अपने पिता के साथ भोजन करती है एक ही थाली में ,, उस पिता की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती ,क्योंकि बेटी पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती है ।इसीलिए बेटी जब तक कुमारी रहे तो अपने पिता के साथ बैठकर भोजन करें। क्योंकि वह अपने पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती हैं।  *स्नान कब ओर केसे करे घर की समृद्धि बढाना हमारे हाथमे है* सुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए है। *1*  *मुनि स्नान...

शंख बजाने के चमत्कार है

सबसे सस्ता वेंटिलेटर शंख ...................  शंख बजाने से शरीर में ऑक्सीजन की कभी कमी नहीं होगी  फेफड़े रहेंगे स्वस्थ ..................... शंख बजाने के हैं अद्भुत फायदे .................. भारतीय परिवारों में और मंदिरो में सुबह और शाम शंख बजाने का प्रचलन है। अगर हम रोजाना शंख बजाते है, तो इससे हमें काफी लाभ हो सकता है। इसके  लाभ बताना एक पोस्ट में संभव नहीं यहाँ कुछेक लाभ के बारे में बता रही हु  1. रोजाना शंख बजाने से  गुदाशय की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। शंख बजाना मूत्रमार्ग, मूत्राशय, निचले पेट, डायाफ्राम, छाती और गर्दन की मांसपेशियों के लिए काफी बेहतर साबित होता है। शंख बजाने से इन अंगों का व्यायाम हो जाता है। 2. शंख बजाने से श्वांस लेने की क्षमता में सुधार होता है। इससे हमारी थायरॉयड ग्रंथियों और स्वरयंत्र का व्यायाम होता है और बोलने से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्याओं को ठीक करने में मदद मिलती है। 3. शंख बजाने से झुर्रियों की परेशानी भी कम हो सकती है। जब हम शंख बजाते हैं, तो हमारे चेहरे की मांसपेशियां में खिंचाव आता है, जिससे झुर्रियां घटती हैं। 4. शंख म...

परलोक का जीवन!

परलोक का जीवन सबसे सुखी होता है। इस भौतिक जीवन के जैसी कठिनाइयां व परेशानी वहां नहीं होती है। खाना-पीना, लड़ाई, झगड़ा, गुस्सा, द्वेष, मनमुटाव, नित्यकर्म, काम करना आदि से मुक्ति। यह जीवन है आने जाने की कोई बाधा नहीं ना यहां सारी बीमारी होती है। ना डॉक्टरों का चक्कर लगाना पड़ता है। ना थकान होती है ना दर्द व पीड़ा होती है जैसा वहां चाहे वैसा करने की पूर्ण स्वतंत्रता है। सभी आवश्यकता इच्छा मात्र से पूरी हो जाती है। केवल शारीरिक वासना पूर्ण नहीं होती इसलिए जो इसमें ग्रस्त है, वहीं इनके दुख का कारण है।

जीवन साधना से लाभ।

 साधना जीवन की अनिवार्यता है। बिना साधना के कुछ भी प्राप्त नहीं होता। जीवन में। श्रेष्ठतम की उपलब्धि साधना के बिना संभव नहीं है। जीवन में सुख भोग के साधन भी बिना साधना के प्राप्त नहीं होते। मानवेतर जीवन के लिए धर्म और आध्यात्मिक साधना सर्वाधिक आवश्यकता होती है । सभी साधना धर्म एवं अध्यात्म की साधना ही उच्च जीवन देने वाली है। आध्यात्मिक साधना का आरंभ धर्म साधना से होता है। धर्म! की साधना से। शारीरिक! को मानसिक स्वास्थ्य ही प्राप्त होता है। इससे मन का संतुलन बना रहता है। सांसारिक संबंधों में सुधार होता है। प्रेम भावना व सेवा भावना में वृद्धि होती है। दया भावना का विकास होता है। शिष्टाचार! विनम्रता का विकास होता है। कष्ट सहन करने की क्षमता आती है आदि अनेक गुणों का विकास होता है जिससे मनुष्य शांति पूर्वक जीवन यापन करता है। धर्म की यह साधन ही मनुष्य की आध्यात्मिक उन्नति की पृष्ठभूमि तैयार करती है जिससे मनुष्य की चेतना शक्ति का विकास होता है जो अंत में मोक्ष प्राप्त का साधन बनती है। मनुष्य को जब अपनी चेतना शक्ति का अनुभव होता है तो उसकी आध्यात्मिक शक्तियां का जागरण होता है। इसी के जागरण ...