परलोक का जीवन सबसे सुखी होता है। इस भौतिक जीवन के जैसी कठिनाइयां व परेशानी वहां नहीं होती है। खाना-पीना, लड़ाई, झगड़ा, गुस्सा, द्वेष, मनमुटाव, नित्यकर्म, काम करना आदि से मुक्ति। यह जीवन है आने जाने की कोई बाधा नहीं ना यहां सारी बीमारी होती है। ना डॉक्टरों का चक्कर लगाना पड़ता है। ना थकान होती है ना दर्द व पीड़ा होती है जैसा वहां चाहे वैसा करने की पूर्ण स्वतंत्रता है। सभी आवश्यकता इच्छा मात्र से पूरी हो जाती है। केवल शारीरिक
वासना पूर्ण नहीं होती इसलिए जो इसमें ग्रस्त है, वहीं इनके दुख का कारण है।
वासना पूर्ण नहीं होती इसलिए जो इसमें ग्रस्त है, वहीं इनके दुख का कारण है।
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