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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अमीर बनना आपका हक़ हें|

यह दावा करने का साहस जुटाय कि आपको अमीर बनने का हक हे|आपका अचेतन मन आपके दावे को हकीकत में बदल देगा, अवचेतन मन के नियम जानने के बाद आपको हमेशा धन मिलता रहेगा चाहे यह किसी भी रूप में मिले धन को भगवान ना बनाय| यह सिर्फ एक प्रतीक है| याद रखें सची दौलत आपके दिमाग में हैं| आप संतुलन जीवन जीने के लिए आए हैं| इसमें आपकी जरूरत का सारा धन हासिल करना शामिल है|धन  को अपना एक मात्र लक्ष्य न  बनाएं| दौलत, खुशी, शांति, सच्ची अभिव्यक्ति और प्रेम का दावा करें| सब के प्रति प्रेम और सद्भाव रखें| फिर आपका चेतन मन इन सभी क्षेत्रों में आपको चक्रवर्ती ब्याज देगा| बार बार दोहराएं, 'में धन को पसंद करता हूं; मैं इसका उपयोग समझदारी से,सृजनात्मक तरीके से और तरीके से करूंगा| मैं इसे खुशी के साथ मुक्त करता हूं और यह हजार गुना होकर मेरे पास लौटता है| बिना कुछ दिए कुछ पाने की कोशिश छोड़ दें|मुफ्त लंच  जैसी कोई चीज नहीं होती है| आपको कुछ पाने के लिए कुछ देना होगा| अगर आप अपने लक्ष्य आदर्शों और कामो  को मानसिक ध्यान देंगे, तो आपका अचेतन मन हमेशा आपका साथ देगा, दौलत की कुंजी अचेतन मन के नियमों को ...

परमात्मा की प्राप्ति केसे होती हें|

मनुष्य मात्र को परमात्मा प्राप्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है| मनुष्य जिस  वर्ण,आश्राम, धर्म,साप्रदाय, वेशभूषा देश, आदि में है,वही रहते हुए वह अपना कल्याण कर सकता है, मनुष्य प्रत्येक परिस्थितियों में परमात्मा को प्राप्त कर सकता है, इसके लिए उसे परिस्थिति बदलने की जरूरत नहीं है, सांसारिक वस्तुओं की प्राप्ति तो कर्म करने से होती है, पर परमात्मा की प्राप्ति कुछ भी ना करने से होती है ,परमात्मा की प्राप्ति जड़ता {शरीर, इंद्रियां, मन, बुद्धि} के द्वारा नहीं होती, प्रत्युत जड़ता के त्याग से होती है|

सरस्वती महोत्सव बसंत पंचमी

अब मैं वेदमाता, ब्रह्मसुता, सब्दमुला,वाणी, देवी , महामाया श्रीसरस्वती जी  की वंदना करता जो मुख से शब्द निकल जाते है |अपार वाणी कहलाती है,और जो निषाद के मन का भाव सहित करती है, जो योगियो की समाधि,स्थित सुविद्या होने के कारण अविद्या को नष्ट करती है| जो महापुरुषों की व्यवस्था चतुर्थ वस्था में पर निकट रहने वाली माया और जिनके लिए साधु लोग बड़े-बड़े कार्यों में प्रवृत्त होते हैं जो महान लोगों की शांति ईश्वर की भक्ति गानों की विरक्ति और निरासो भी शोभा है जो अनंत ब्राह्मणों की रचना करती हे और विनोद में ही करती है और जो आधी पुरुषों की आड़ में खड़ी रहती है जो केवल देखने से ही दिखाई पड़ती है और विचार करने से अदरक हो जाती है और ब्रह्मा आदि भी जिसका पार नहीं पाते जो जगत के सभी नाटकों को भी तरीका है जो निर्मल स्तुति है और जिनके आनंद नंद तथा ज्ञान प्राप्त होती है मां सरस्वती को बार बार प्रणाम हे |

प्राकतिक बुध्दी क्या हें

प्राकृतिक संसार का ज्ञान  शामिल होता है प्राकृतिक बुद्धि में पौधे और जानवरों के उनके गुणों को जानना और उन्हें श्रेणीभद करना आमतौर पर वातावरण और आसपास का गहन अवलोकन तथा अन्य भाषाओं का वर्गीकरण करने की योग्यता होना होता है इसे प्राकृतिक की खोजबीन कर के पदार्थों का संग्रह करने से उनका अध्ययन करने से तथा उनका समूह बनाना, संवेदन कला, दृष्टि, आवाज,सुगना, स्वाद, और छुना, प्राकृतिक बदलावों का गहन अवलोकन आपसी संबंध और प्रारूप बनाता है|

जीवन का उदेश्य क्या हें

आपका उद्देश्य वही है, जो आप मानते हैं| आपका उद्देश्य वही ही है, जो आप खुद को देते हैं, आपका जीवन वैसा ही होगा, जैसा आप इसे बनाएंगे और कोई भी इसका मूल्यांकन करने के लिए कभी खड़ा नहीं होगा| यह सबक समझने में मुझे कई साल लग गय, क्योंकि मैं बहुत हद तक इन विचारों के साथ बड़ा हुवा था की मुझे कोई काम करना चाहिए और उसे नहीं कर पा रहा हु तो ईश्वर मुझसे खुश नहीं होगे जो मैं सचमुच समझ गया कि मेरा पहला  काम खुशी महसूस करना हें तो फिर में वही  काम करने लगा जिसमे मुझे  खुशी मिलती थी|यह मेरा प्रिय  बात हें, अगर इसमें मजा नहीं आता हें तो इसे मत करो खुशी, प्रेम,आनंद ,हँसी, यही तो असली बात हें अगर आपको एक धंटे तक बैठकर साधना करने में आनद मिलता हे तो वेसा ही करे |

अभ्यास से कुछ भी पाया जा सकता है

अभ्यास से विद्या को प्राप्त किया जा सकता है उत्तम गुण और स्वभाव से कुल  का गौरव बढ़ता है श्रेष्ठ पुरुष की पहचान अच्छे गुणों से होती है और आंखें देखकर क्रोध का ज्ञान होता है/

काली पूजा हर अमावस्या होती हे

काल शिव को कहा जाता हे और उनकी अर्दगनी होने के कारण ही काली को काली कहा जाता हे!यह तेज,पराक्रम,विजय,वैभव की अधिस्तात्री देवी हे दस महाविद्याओ में प्रमुक इस्तान काली जी का हे,दार्शनिक दरस्ती से काल तत्व की प्र्मुकता होने के कारण काली जी का प्रमुख इस्तान माना जाता हे,लेकिन काली जी का सर्वादिक प्रचलित रूप दक्चिना काली का हे,इसी रूप में काली जी की साधना की जाती हे काली जी को कालिका सियामा और रक्ता भी कहा जाता हे,तंत्र शादना में काली जी का प्रमुक इस्तान हे इन्ही की पूजा की जाती हे!

वह ब्रम्हा पूण हें?

वह ब्रह्म पूण हें,यह जगत भी पूण हें;पूण ब्रम्हा से ही यह पूण जगत उदित होता हे;पूण से ही पुनता लेकर जब यह जगत बन चुकता हे,तब भी वह ब्रम्हा पूण-का-पूण बचा रहता हें/वह परमात्मा कपन तक नहीं करता परन्तु मन से भी अदिक वेगवान हे;इंद्रिया उसे प्राप्त नहीं कर सकती परन्तु वह इन्द्रियों से भी वर्तमान हे;वह ठहरा हुवा ही अन दोड़ते हुवो को पीछे छोड़ देता हे;उसी के कारण वायु,जो हलकी हे,अपने से भारी जल को उठा लेती हें,इसलिए वह पूण हे ?

36बरसो बाद खिलने वाला फुल

दुर्लाव फुल

ईश्वर हें

अजीब खेल हे परमात्मा का लिखता भी वही हें मिटाता भी वही हें भटकता हें राह तो दिखाता भी वही हें उल्जाता भी वही सुल्जता भी वही हें जिंदगी की मुश्किल घड़ी में दिखता भी नहीं मगर साथ देता भी वही हें?

सेवा किसे कहते हे

सेवा में ही मेवा हे ये हमारे बड़े बुगुर्ग कहा करते थे?परन्तु आज ये सब नहीं हो रहा हे आज हमारी सस्कृति,और सभ्यता,के बारे में कोई सिकना चाहता हे ना सिकाना चाहता हे,बस आज कल तो सिरप अपनी ही धुन में न जाने कहा जाना हे क्या करना हे टीक से किसी को मालूम ही नहीं हे?

नर्मदे हर जिन्दगी भर

जय माँ आपकी  किरपा से सभी जीवो का कल्याण होता हे,आप शभी को कल्याण के लिये आप सभी को जल से सन्तुष्ट कर उनकी पियास जिव जंतु की पियास बुजाते हो आप शिव जी बिटिया और उनके परिवार की तपस्या से और अपने  तपोबल  से आपने कई सिदिया प्राप्त की तथा भक्तो को भी अनेक शिदिया आपने दी और मुझे भी आपने कई प्रकार की शिदिया प्रदान की आप को कोटि कोटि प्रणाम माँ 

भक्ति किसे कहते हें

भक्ति तीन प्रकार की होती हे पहला श्रवण दूसरा कीर्तन तीसरा मनन सब प्रकार के वाद विवाद को छोड़कर परमात्मा के गुणों का कीर्तन करना चाहिये इसी का नाम भजन हे ?हजारो नामो में से कोइ एक नाम लेने पर भी जीवन सार्थक हो जाता हे? और शिव नाम को  लेने से मनुष्य पुण्यलोक बन जाता हे ?भगवान को केवल अपना शखा ही नहीं बल्कि,माता,पिता,गोती,विद्या,लछमी,धन और वित् सभी कुछ समजना चाइये?सास्त्रो में कहा गया हे की परमात्मा और गुरु दोनों समान होते हे ?