अब मैं वेदमाता, ब्रह्मसुता, सब्दमुला,वाणी, देवी , महामाया श्रीसरस्वती जी की वंदना करता जो मुख से शब्द निकल जाते है |अपार वाणी कहलाती है,और जो निषाद के मन का भाव सहित करती है, जो योगियो की समाधि,स्थित सुविद्या होने के कारण अविद्या को नष्ट करती है| जो महापुरुषों की व्यवस्था चतुर्थ वस्था में पर निकट रहने वाली माया और जिनके लिए साधु लोग बड़े-बड़े कार्यों में प्रवृत्त होते हैं जो महान लोगों की शांति ईश्वर की भक्ति गानों की विरक्ति और निरासो भी शोभा है जो अनंत ब्राह्मणों की रचना करती हे और विनोद में ही करती है और जो आधी पुरुषों की आड़ में खड़ी रहती है जो केवल देखने से ही दिखाई पड़ती है और विचार करने से अदरक हो जाती है और ब्रह्मा आदि भी जिसका पार नहीं पाते जो जगत के सभी नाटकों को भी तरीका है जो निर्मल स्तुति है और जिनके आनंद नंद तथा ज्ञान प्राप्त होती है मां सरस्वती को बार बार प्रणाम हे |
सूर्योदय से पहले उठो। 2. सुबह जल्दी उठकर कसरत करें। 3. नाश्ता न छोड़ें। 4. 10 मिनट योगा या मेडिटेशन सेशन करें। 5. सोशल मीडिया पर समय बर्बाद करना बंद करो। 6. बेहतर व्यक्तित्व के साथ समय बिताना शुरू करें। 7. यूट्यूब की बजाय टेड वार्ता देखें। 8. परिवार के लिए समय निकालें। 9. हर हफ्ते कम से कम एक बार लंबी सैर करें। 10.बिस्तर पर जाने से पहले कुछ पढ़ें। और एक बोनस, उस व्यक्ति के उत्तर को धन्यवाद देना कभी न भूलें जिसने आपकी मदद की
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