वह ब्रह्म पूण हें,यह जगत भी पूण हें;पूण ब्रम्हा से ही यह पूण जगत उदित होता हे;पूण से ही पुनता लेकर जब यह जगत बन चुकता हे,तब भी वह ब्रम्हा पूण-का-पूण बचा रहता हें/वह परमात्मा कपन तक नहीं करता परन्तु मन से भी अदिक वेगवान हे;इंद्रिया उसे प्राप्त नहीं कर सकती परन्तु वह इन्द्रियों से भी वर्तमान हे;वह ठहरा हुवा ही अन दोड़ते हुवो को पीछे छोड़ देता हे;उसी के कारण वायु,जो हलकी हे,अपने से भारी जल को उठा लेती हें,इसलिए वह पूण हे ?
सूर्योदय से पहले उठो। 2. सुबह जल्दी उठकर कसरत करें। 3. नाश्ता न छोड़ें। 4. 10 मिनट योगा या मेडिटेशन सेशन करें। 5. सोशल मीडिया पर समय बर्बाद करना बंद करो। 6. बेहतर व्यक्तित्व के साथ समय बिताना शुरू करें। 7. यूट्यूब की बजाय टेड वार्ता देखें। 8. परिवार के लिए समय निकालें। 9. हर हफ्ते कम से कम एक बार लंबी सैर करें। 10.बिस्तर पर जाने से पहले कुछ पढ़ें। और एक बोनस, उस व्यक्ति के उत्तर को धन्यवाद देना कभी न भूलें जिसने आपकी मदद की
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