सात सुख
एक कहावत है जो अक्सर सुनने को मिल जाती है, आपने भी बहुत बार सुनी होगी "पहला सुख निरोगी काया" । इसके अलावा ये भी कहा जाता रहा है कि सातों सुख हर किसी को नहीं मिलते । क्या है ये सात सुख ? पहला सुख तो निरोगी काया है फिर बाकी के छह कौनसे सुख है ? जितनी मुझे जानकारी है आज आपसे साझा कर रहा हुं कि आखिर ये सात सुख है क्या ?
हमारे पूर्वजों ने दूसरा सुख बताया है "माया" यानि धन संपत्ति । पास में धन संपत्ति हो और पहला सुख भरपूर हो तो जीवन काफी आनंदमय हो जाता है ।
तीसरा सुख है गुणवान, संस्कारी जीवनसाथी । और चौथा सुख बताया गया है आज्ञाकारी संतान ।
पांचवां सुख बताया गया है स्वदेश में निवास । यहां स्वदेश का मेरे विचार से ये अर्थ है कि स्वदेश यानि वो स्थान जहां हमारे पुरखे रहते थे,
अब आता है छठा सुख । छठे सुख में बताया गया है की आदमी राज करे । उसके पास राज के जैसी शक्तियां हो । जो आज के समय में शायद ही किसी के पास है ।
पहले के जैसे ही सातवें के बारे में भी एक कहावत बनी हुयी है "संतोषी सदा सुखी"।
पहला सुख - निरोगी काया,
दूजा सुख - घर में हो माया,
तीजा सुख - सुलक्षणा नारी,
चौथा सुख - हो पुत्र आज्ञाकारी,
पाँचवां सुख - हो सुन्दर वास,
छठा सुख - हो अच्छा पास,
साँतवां सुख - हो मित्र घनेरे,
और नहीं जगत में दुखः बहुतेरे !
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