संसार में दिखलाये देने वाले शारीरिक एवं मानसिक दोषों में अधिकांश का कारण आहार संबंधी ज्ञान एवं असयम मे ही है जो भोजन शरीर को शक्ति और मन को बुद्धि प्रदान करता है वही अनुपयुक्त होने पर उन्हें रोगी एवं निस्तेज भी बना देता है शारीरिक अथवा मानसिक विकृतियों को भोजन विशेषक भुलो का ही परिणाम मानना चाहिए अन दोस संसार के समस्त दोषों की जड़ है
जैसे भोजन खाएं अन वेसा बने मन वाली कहावत से यही प्रतीत होता है कि मनुष्य की अच्छी बुरी प्रवृत्तियां आहार पर निर्भर है मनुष्य किस प्रकार काभोजन करता है उसी प्रकार उसके गुण एवं स्वाद का निर्माण होता हें|
जैसे भोजन खाएं अन वेसा बने मन वाली कहावत से यही प्रतीत होता है कि मनुष्य की अच्छी बुरी प्रवृत्तियां आहार पर निर्भर है मनुष्य किस प्रकार काभोजन करता है उसी प्रकार उसके गुण एवं स्वाद का निर्माण होता हें|
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