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अमीर आदमी की सोच और गरीब आदमी की सोच को ध्यान से पढे।

अगर कड़ी मेहनत और पूरी कोशिश के बाद भी तुम सफल नहीं हो पा रहे हो तो कोई ऐसी चीज़ है तुम्हारे अंदर जिसे तुम नहीं बदल पा रहे हो और वही तुम्हारी सफलता में बाधा उत्पन्न कर रही है।
अमीर लोग एक ख़ास तरह से सोचते है। और गरीब लोग अपने काम और पैसों को लेकर एक अलग तरीके से। अमीर और गरीब लोगों का सोचने का ये तरीका उनके काम करने का तरीका भी अलग करता है। और फिर उनके परिणाम भी अलग निकलते है।
अगर तुम अपने सोचने और काम करने का तरीका अमीर लोगों जैसा कर लेते हो तो तुम अमीर बन जाओगे।
दौलतमंद बनने के लिए दौलत मंद सोच बनानी जरूरी होती है। दौलतमंद बनने में भले ही आपको कुछ समय लगे लेकिन दौलत मंद सोच बनाना सिर्फ और सिर्फ आपके ऊपर होता है।
दौलतमंद सोच कैसे बनायें :
दौलतमंद सोच आप तुरंत भी बना सकते है एक दिन में भी बना सकते है एक हफ्ते में भी बना सकते है। अगर आप अपनी सोच को खुद नहीं बदल पा रहे है तो आप किसी और की हेल्प ले सकते है जैसे - दौलतमंद लोगों की बिओग्रफी पढ़कर, उनकी वीडियोस देखकर, बुक्स पढ़कर आदि।
* हम जो नहीं जानते है वो हमें सफल होने से नहीं रोकता है बल्कि जो हम जानते है अगर वो गलत हो तो वो हमारी सफलता में बाधा बन जाता है।
* सोचने और काम करने के पुराने तरीके आपको वहां तक ले आएं जहा आप अभी हो अगर आप अपनी प्रेसेंट लाइफ में खुश हो, समृद्ध हो तो अच्छी बात है अगर नहीं तो फिर आपको अपने काम करने और सोचने के तरीकों को बदलने की जरूर है।
* आप अपनी सोच और काम करने के तरीकों को एक टूलबॉक्स की तरह मान सकते हो। जिस टूलबॉक्स का यूज़ तुम करते आ रहे हो अगर वो आपको कामयाबी तक नहीं पहुंचा रही है तो आपको अपने टूल बॉक्स के कुछ औज़ारों को बदलने की सख्त जरूरत है। ये सिर्फ और सिर्फ आपको ही सोचना है के आपके कार्य करने और सोचने की टूलबॉक्स में किस टूल की जरूरत है और कौनसा टूल है जो आपको कामयाब नहीं होने दे रहा है। मात्र लाख रु का निवेश आपको साल में करोड़पति बना सकता है।
धन के दो नियम होते है बाहरी और अंदरूनी
बाहरी नियम :
१. जो बिजनेस आप करने जा रहे है उसका ज्ञान
२. धन का प्रबंधन और
३. निवेश की तकनीकी
धन के अंदरूनी नियम भी उतने ही जरूरी जितने की बाहरी नियम।
एक कारपेंटर के पास भले ही कितने भी अच्छे औजार क्यों ना अगर उसके पास उनको यूज़ करने का तजुर्बा नहीं है तो वो कभी कामयाब नहीं हो सकता।
सही जगह पर होना सही समय पर होना पर्याप्त नहीं है , आपको सही जगह पर सही समय पर सही व्यक्ति भी बनना होगा।
धन के अंदरूनी नियम :
क्या आप वाकई ऐसा महसूस करते है के आप दौलत मंद होने के हक़दार है।
क्या आपके अंदर उतनी क़ाबलियत है के आपके पास दौलत होनी चाहिए।
डर, चिंता, असुविधा और परेशानियों के बावजूद आप कितना काम कर सकते है।
क्या मूड ना होने पर भी काम कर सकते है।
सच तो ये है के आपका चरित्र, सोच और विश्वास ही आपकी सफलता को निर्धारित करते है।
किसी ने क्या खूब कहा है "सफलता की कुंजी आपकी ऊर्जा बढ़ाना है" ऐसा करने पर लोग आपकी और आकर्षित होंगे और जैसे ही लोग आते है तो तुरंत उन्हें बिल थमा दो।
आपकी आमदनी सिर्फ और सिर्फ उसी हद्द तक बढ़ सकती है जिस हद्द तक आप अपनी ऊर्जा के स्तर को बढ़ाते है।
अगर किसी के पास धन बिना मेहनत के आ जाता है तो उसके खत्म होने के चान्सेस भी उतने ही होते है।
अक्सर आपने देखा होगा जिन लोगों की लाटरी लगती है या उन्हें अचानक कही से अपार दौलत मिल जाती है तो वो उसे बर्बाद कर देते है। क्योकि जो दौलत उन्हें मिली है वो उसके लिए तैयार ही नहीं थे। वो दोबारा जल्दी ही उस अवस्था में आ जाते है जिसमे वो पहले थे।
लेकिन दुसरी और दौलत के लिए तैयार लोग दौलत आने पर उस दौलत से ही अपने लिए काम करवाते है और अगर खुदा न खस्ता वो दौलत उनसे दूर चली भी जाती है तो वो बहुत जल्द ही उसे वापिस पा लेते है। ऐसा इसलिए होता है क्योकि उनके पास दौलत कमाने का गुण है। उन्होने भले ही दौलत गवां दी हो लेकिन उनके पास करोड़ों कमाने वाला दिमाग अभी भी है। लेकिन पहले वाले केस में ऐसा होना बहुत मुश्किल है। वहां तो दौलत बिना मेहनत के आई थी बिना तज़ुर्बे के आई थी। अब उसे दोबारा पाना नामुमकिन है।
अगर आप अपना माइंड सेट अरबों रुपियों के लिए करते हो तो आप करोड़ों जरूर कमाओगे, अगर आप अपना माइंड सेटकरोड़ों रुपियों के लिए करते हो तो आप १० लाख से ज्यादा जरूर कमाओगे,अगर आप अपना माइंड सेट १० लाख रुपियों के लिए करते हो तो आप लाख जरूर कमाओगे,अगर आप अपना माइंड सेट लाख रुपियों के लिए करते हो तो आप हजार जरूर कमाओगे,अगर आप अपना माइंड सेट सिर्फ जीवनयापन रुपियों के लिए करते हो तो आप जीवन यापन भी मुश्किल से कर पाओगे।
अगर हम अपने जीवन को एक पेड़ की तरह देखें। मानलो उस पेड़ पर फल लगे है। उस पेड़ द्वारा मिलने वाले फल हमारे द्वारा दिए गए कर्मों के परिणाम है। कई बार हम उन फलों को देखते है लेकिन वो हमें पसंद नहीं आते है। वे काम है, छोटे है या उनका स्वाद अच्छा नहीं है। इस स्तिथि में ज्यादातर लोग फलों पर यानी उन परिणामो पर ध्यान केंद्रित करने लगते है। लेकिन अगर देख जाये तो वो फल कहाँ से आय है ? फल तो वास्तव में बीज और जड़ों से उत्पन्न हुए है। जो जमीन के अंदर है वही जमीन के ऊपर की चीज़ों को उत्पान करता है। जो दिखता नहीं है वो दिखने वाली चीज़ों की रचना करता है। इसका मतलब क्या है ? इसका मतलब ये है के अगर आप फलों को बदलना चाहते है तो आपको पहले जड़ों को बदलना पड़ेगा। अगर आप दिखाई देने वाली चीज़ों को बदलना चाहते है तो उससे पहले आपको दिखाई न देने वाली चीज़ों को बदलना होगा।
दौलत का भी यही सिद्धांत है अगर आप आज आपके फलों को यानी अपने परिणामों को बदलना चाहते है तो आपको अपनी सोच, काम करने का तरीका और सिद्धांतों को बदलना पड़ेगा।

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