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धन कामना अलग गुण है लेकिन धन को मैनेज करना एक अलग ही गुण होता है। आप ने देखा बहुत से लोग धन कमा तो लेते है लेकिन जैसे उनके पास धन आता है वैसे ही चला भी जाता है। आज में आपको ७ नियम बताने जा रहा हूँ जो आपके धन कमाने के गुण भी बताएगे और धन कैसे बढ़ाया और सुरक्षित रखा जाता है ये भी।
धन कामना अलग गुण है लेकिन धन को मैनेज करना एक अलग ही गुण होता है। आप ने देखा बहुत से लोग धन कमा तो लेते है लेकिन जैसे उनके पास धन आता है वैसे ही चला भी जाता है। आज में आपको ७ नियम बताने जा रहा हूँ जो आपके धन कमाने के गुण भी बताएगे और धन कैसे बढ़ाया और सुरक्षित रखा जाता है ये भी।
पहला नियम :- "अपने पर्स को भरना शुरू करो"
आप का पर्स or Bank Balance इसलिए खाली है के आपने उसे भरने का प्लान ही नहीं किया। पर्स भरने का नियम ये है के आप जो भी महीने में पैसा कमाते हो उसका दसवां हिस्सा आपको अपने पर्स में ही Save रखना है।
उदहारण: मेने एक आदमी से पूंछा के आप क्या काम करते हो ? उसने कहा के में अण्डों का कारोबार करता हूँ। मेने ने कहा के अगर तुम हर रोज एक अंडा अपनी बास्केट में छोड़ते हो तो महीने के आखिर में तुम्हारी उस बास्केट में 30 अंडे होंगे और एक अंडा हर रोज बास्केट में छोड़ने से तुम्हारे कारोबार पर कोई ख़ास फर्क भी नहीं पड़ेगा।
ठीक उसी तरह अगर तुम अपने कमाए हुए पैसों का दसवां हिस्सा रोज़ अपने पर्स में रखना शुरू कर दो तो महीने के आखिर में तुम्हारा पर्स भर चूका होगा। अगर तुम रोज 1000 रूपये कमाते हो तो उसमे से 100 रूपये अपने पर्स में उठा कर रख दो। और बचे हुए 900 रूपये से ही अपनी जरूरतों को पूरा करो। ये बात बहुत छोटी लगती है लेकिन ये अमीर बनने का पहला कदम होता है।
मेरी कही इस बात को हलके में ना लें। क्योकि सत्य हमेशा हल्का होता है। में भी शुरू के दिनों में अपने खाली पर्स को देख कर ऐसे ही कोसा करता था। लेकिन जब मेने इस नियम को दृढ़ता से शुरू किया तो मेरा पर्स भरने लगा और ये नियम मेरी कामयाबी का पहला कदम साबित हुआ। क्योंकि में हर रोज 1000 रूपये कमाकर उसमे सिर्फ 900 रूपये ही बाहर निकालता था। इससे मेरा पर्स जल्द ही भरना शुरू हो गया।
1000 रूपये में से 900 रूपये खर्च करके भी मेरा जीवन यापन में कोई खास फ़र्क़ नहीं पड़ा। 900 रूपये खर्च करके भी मेरे पास वैसे ही कड़की रहती थी जैसे 1000 रूपये खर्च करके होती है। लेकिन इस नियम को लगातार फॉलो करने से मेरा पर्स भरना शुरू हो गया था। और ये धन के देवताओं का भी नियम है, अगर तुम अपने कमाए हुए धन का कुछ हिस्सा बचा कर रखोगे तो इससे धन के देवता भी खुश होते है। और तुम्हारा धन बढ़ने लगता है।
दूसरा नियम:- "अपने खर्चों को कण्ट्रोल करो"
हमारी इच्छा और जरूरत दो अलग अलग चीज़ें होती है। आप अपने कमाए पैसे में से अपनी जरूरतों को जरूर पूरा करो लेकिन अपनी कुछ इच्छाओं को पूरा करने के लिए फ़िज़ूल खर्ची मत करो। कई बार हमें पता भी नहीं चलता और हम कुछ ऐसी चीज़ों पर अपना पैसा खर्च कर देते जिनकी शायद उतनी जरूरत नहीं थी। खर्च को कण्ट्रोल करने का सबसे अच्छा तरीका है के आप अपना बजट बनाओ। आपको अपना बजट इस तरीके से त्यार करना है के आप अपनी जरूरतों को 90% पैसे में ही पूरा कर सकें। इससे आप आसानी से उन खर्चो को निकाल पाओगे जिन्हे आपको नहीं करने चाहिए थे। अगर तुमने अपने खर्चों को थोड़ा कण्ट्रोल कर लिया तो ये आपके पर्स को जल्दी और ज्यादा भरने में बहुत मदद करेगा।
तीसरा नियम :- "अपने धन को कई गुना बढ़ाएं"
जब आप देखेंगे के आपका पर्स मोटा होता जा रहा है और ऐसा जरूर होगा क्योकिं आप खुद को अनुशाषित कर चुके है। अब आप अपनी आमदनी का 10वां हिस्सा बचाने लगे है। आप ने दूसरे नियम के अनुसार अपने खर्च को नियंत्रित कर लिया है। ताकि आपके बढ़ते हुए खजाने की रक्षा हो सके। अब हम अमीरी के तीसरे नियम की बात करेंगे जिसमे आप जानेंगे के आप अपने जमा किये हुए पैसे से कैसे मेहनत करवा सकते है। और इसे कैसे बढ़वा सकते है।
पर्स में रखा धन कंजूस आदमी को संतुष्ट करता है , लेकिन इससे आमदनी नहीं बढ़ती है। अपनी आमदनी से धन बचाना तो सिर्फ शुरुआत है लेकिन उस बचत से जो कमाई होगी उसी से हम अमीर बनेंगे।
अब सवाल ये आता है के हम अपनी बचत या धन से कैसे मेहनत करवाएं ? इसका जवाब है निवेश। निवेश करके हम अपने धन से धन कमा सकते है।
"अगर में अपने पहले निवेश के बारे में बताऊँ तो वो बहुत बुरा था क्योंकि मेरी सारी बचत उसी में डूब गयी थी मेने ऐसे बिजनेस में पैसा लगा दिया था जिसका मुझे तज़र्बा ही नहीं था" अगर आप अपनी बचत को कही ऐसी जगह निवेश करें जहा आपका निवेश आपको निश्जिनत कमाई दे सके तो आपका वो धन आपके सैनिको की तरह काम करता है। और उस धन से कमाया हुआ ब्याज या छोटी बचत छोटे सैनिकों की तरह काम करती है।
एक किसान के जब पहला बच्चा पैदा हुआ तो उसने 10 सिक्के गाँव के साहूकार के पास रख दिए और उस साहूकार ने उसके सिक्कों पर 4 साल में 25% ब्याज की गारंटी दी। चार साल बाद जब वो किसान साहूकार के पास गया तो साहूकार ने बताया के उसके जमा किये हुए 10 सिक्के अब 12.5 सिक्के हो चुके है। ये बात सुनकर किसान बहुत खुश हुआ और उसने साहूकार से कहा के बढे हुए सिक्कों को भी आप हर साल मूलधन में यानी उन्ही में जोड़ दिया करो। जब उसके लड़के की उम्र 20 साल हो गयी तो वो साहूकार के पास गया और अपने खाते की जानकारी मांगी। साहूकार ने बताया के जो 10 सिक्के तुमने जमा किये थे क्योंकि उनपर चक्रवृद्धि ब्याज लगा है तो वो अब बढ़कर 23.5 सिक्के हो गए है। ये सुनकर किसान बहुत खुश हुआ। क्योंकि अभी उसके लड़के को धन की जरूरत नहीं थी तो किसान ने वो धन साहूकार के पास ही रहने दिया। जब उसका पुत्र 50 साल का हुआ तो इस दौरान उसका पिता इस दुनिया से जा चुका था। तो साहूकार ने पुत्र को हिसाब चुकाते हुए चांदी के 175 सिक्के दिए। इस प्रकार 10 सिक्कों का निवेश 50 साल में चक्रवृद्धि के कारण 17 गुना बढ़ गया।
ये अमीर होने का तीसरा नियम है। अपने पैसे से मेहनत कराते रहे जब तक की वह और पैसे पैदा ना करें।
चौथा नियम :- "अपनी पूंजी की रक्षा करें"
आपको अपनी बचत की दृढ़ता से रक्षा करनी चाहिए। अगर आप अपने छोटे धन की रक्षा कर पाएंगे तो धन के देवता आपसे बहुत खुश होते है। और तभी वो आपको ज्यादा धन देते है। जब आपके पास बचत का धन इकठ्ठा हो जाये तो उसको किसी भी प्रलोभन में आकर निवेश ना करें। क्योकिं जब आपके पास थोड़ा धन इकठ्ठा हो जाता है तो आपके पास बहुत से शार्ट कट आते है। ये शार्ट कट आपके मन में भी आ सकते है और आपको कोई इनका शार्ट कट सुझाव भी दे सकता है। तो ऐसी किसी भी योजना में निवेश ना करें जिसमे आपके मूलधन के डूबने का ख़तरा हो। क्योकि मूलधन को दाऊ पर लगाकर जल्दी ज्यादा धन कमाने का लालच सही नहीं है। अगर आप ऐसा कोई जोखिम उठाते है तो हो सकता है के आप अपना मूलधन भी गवां दें। किसी भी योजना में निवेश करने से पहले ये सुनिश्चित कर लें के आपके मूलधन पर कोई आंच ना आय। और अगर आप किसी को पैसा दे रहे है तो इस बात को जरूर चेक कर लें के उस आदमी के अंदर क़र्ज़ लौटाने का सामर्थ है या नहीं। अपनी बचत का कही भी निवेश करने से पहले कुछ सलाहकारों से सलाह लें क्योकि ऐसी सलाह आपको मुफ्त मिल जाती है। और अगर वो सलाह आपके धन को बचा दे तो उस सलाह की कीमत उस धन के बराबर होती है। कही भी निवेश करने से पहले कुछ बातों का जरूर ख्याल रखें जैसे -
· सिर्फ वही निवेश करें जहां आपका मूलधन सुरक्षित रहे।
· जहां आप जब चाहे उसे वापिस पा सके। और
· जहां आपको उचित मुनाफा या ब्याज मिलता रहे।
· बुद्धिमान लोगों से सलाह ले।
· धन से धन कमाने के सम्बन्ध में अनुभवी लोगों से सलाह लें।
· असुरक्षित निवेशों से दूर रहें।
पांचवा नियम :- "अपने घर के मालिक बने"
अपने बचाये हुए धन को जब आप अच्छी जगह निवेश करते है तो वो बहुत तेज़ी से बढ़ता है। अपनी मेहनत और धन द्वारा कमाए कुछ पैसे से आपकी सबसे पहली कोशिश अपने घर लेने की होनी चाहिए है। क्योकि हर किसी को अपना घर स्वामित्व का गर्व कराता है। हर इंसान को इतना बड़ा घर जरूर लेना चाहिए जिसमे उसके बच्चे खेल सकें और उसकी पत्नी कुछ फूल पत्तियां उगा सके। फूल पौधे हर औरत को ख़ुशी देते है। और जब आपके आपके बच्चे अपने घर में खेलेंगे तो वो बाहर की गन्दी गलियों में खेलने नहीं जाएंगे। आपका अपना घर लेने का निवेश कभी भी व्यर्थ नहीं जाता। तो कोशिश करें के आप जल्दी से जल्दी एक आपने घर लें।
छठा नियम:- "अपने बुढ़ापे और परिवार के लिए धन की सुरक्षा "
हम सभी हर रोज अपने बुढ़ापे की तरफ आगे बढ़ते है और एक दिन हम सभी को बूढा होना है अगर देवता हमें असमय अपने पास न बुलाएँ। अपने बुढ़ापे और असमय मृत्यु के लिए हमें हमेशा त्यार रहना चाहिए। अपनी बचत का एक छोटा सा हिस्सा अपने बुढ़ापे के लिए जरूर निवेश करें। ऐसी किसी योजना में जरूर पैसा लगाएं जिससे आपकी असमय मिर्तु होने पर आपके परिवार को खाली पर्स ना देखने को मिले क्योकि वह बहुत दुखदाई होता है। अपने खाली पर्स को भरने का छटा इलाज है के अपने बुढ़ापे और बुरे समय के लिए पहले से ही व्यवस्था कर लें।
सातवां नियम:- "अपनी आमदनी की छमता बढ़ाएं"
आज मैं आपको सबसे महत्वपूर्ण उपचारों में से एक के बारे में बताने जा रहा हूँ अपने खाली पर्स को भरने के लिए।
"बहुत समय पहले मेरे पास एक युवक उधार लेने के लिए आया। जब मेने पूंछा के उसे उधार लेने की जरूरत क्यों पड़ी?
उसने बताया के उसकी कमाई खर्चों के भुगतान से कम है।
मेने उससे कहा तुम्हे अपने कमाने की छमता बढ़ानी चाहिए। तुमने उसके लिए क्या किया है ?
उसने कहा मेने वो सब किया है जो में कर सकता हूँ जहाँ में नौकरी करता हूँ पिछले छह माह में मेने छह बार अपने मालिक से तन्खुवा बढ़ाने को कहा है। लेकिन वो ऐसा नहीं करता।
मेने उसकी बात सुनकर एक अंदाजा तो लगा लिया था के उसके अंदर पैसा कमाने की तीर्व इच्छा थी जो कामयाबी के लिए बहुत सराहनीय होती है। लेकिन वह जल्दबाजी की वजह से परेशान है।
अगर आपके अंदर अमीर बनने की तीर्व इच्छा होती है तो वो बहुत जल्द ही आपको आगे बढ़ाती है।
उसी त्रीव इच्छा के साथ अगर आप समझदारी और सब्र से अमीरी की तरफ बढ़ेंगे तो अमीर बनने से आपको कोई नहीं रोक सकता है। अपनी एक निश्चित छोटी इच्छा को पूरी करना सीखकर, उसने बड़ी इच्छा पूरी करने का प्रशिक्षण पा लिया है इसी पृकिर्या से दौलत हासिल की जाती है। पहले छोटी राशि, फिर उससे बड़ी राशि जबतक इंसान सीखकर ज्यादा सक्षम नहीं बन जाता। इच्छाएं आसान और निश्चित होनी चाहिए। अगर वो बहुत ज्यादा, या बहुत ज्यादा जटिल हो या ऐसी हों जिन्हे हासिल करने का प्रशिक्षण उस व्यक्ति पास ना हो तो सफलता नहीं मिलती है। जब व्यक्ति ज्यादा कुशल बनता है तो वह अपने कमाने के रास्ते भी खोल लेता है।
जब में गरीब था और नौकरी करता था तो मेने देखा मेरे ही कार्यालय में कुछ लोग मुझसे ज्यादा काम करते थे और इस कारन उन्हें मुझसे ज्यादा आमदनी होती थी। इसलिए मेने भी यही संकल्प किया के आज से में भी उनके जितना ही काम करूँगा। उनका ज्यादा सफल होने के कारण जान्ने में मुज्झे ज्यादा समय नहीं लगा। मेने अपने काम में ज्यादा रुचि ली। एकाग्रता से काम किया। अपने प्रयास में ज्यादा लग्न का प्रयोग किया। और देखते ही देखते में जितने मृदा पत्र लिखता था उससे ज्यादा कार्यालय में कोई नहीं लिखता था। जल्द ही मुझे अपनी बढ़ी हुई छमता की वजह से पुरुष्कार मिला। अपनी तनख्वा बढ़वाने के लिए मुझे अपने मालिक के पास जाने की जरूरत भी नहीं पड़ी। हमारे पास जितना ज्ञान होता है हम उतना ही ज्यादा कमा सकते है। जो व्यक्ति अपनी कला में ज्यादा निपुण्डता हासिल करता है उसे उसकी मेहनत के ज्यादा पुरुष्कार मिलते है।
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