सबसे पहले यह समझ लेते हैं कि गुड़ है क्या? आयुर्वेद के अनुसार गुड़ की परिभाषा- ईख (यानि कि गन्ना) का रस जब पकाते पकाते गाढ़ा हो जाता है तो उसे गुड़ कहते हैं. गुड़ में कई प्रकार के खनिज हैं . गुड़ को सीधे गन्ने के रस से बनाया जाता है जिससे इसमें कई पोषक तत्व हैं जो सफेद शक्कर में नहीं होते हैं.
ईख के अलावा गुड़ को ताड़, खजूर आदि से भी बनाया जाता है.
गुड़ के गुण- गुड़ तीनों दोषों को शांत करता है इसीलिए गुड़ को आयुर्वेद में औषधि माना गया है.
कफ- गुड़ को अगर अदरक के साथ लिया जाये तो यह कफ को नष्ट करता है.
पित्त- गुड़ का प्रयोग अगर हड़ जिसे हरीतकी भी कहते हैं के साथ किया जाये तो यह पित्त को कम करता है.
वात- गुड़ का प्रयोग अगर सोंठ (सूखी अदरक का पाउडर) के साथ किया जाये तो यह वात दोष को कम करता है.
पुराना गुड़ और नए गुड़ के भेद– आयुर्वेद के अनुसार पुराना गुड़ नए गुड़ से अधिक लाभकारी होता है. पुराने गुड़ को ह्रदय के लिए अच्छा बताया गया है. खाने के साथ गुड़ खाने से यह पचाने में मदद करता है क्योंकि गुड़ मधुर होता है.
गुड़ के नुकसान- गुड़ एक प्रकार का मीठा ही है तो इसके उत्तम गुण होते हुए भी आप इसका अधिक प्रयोग नहीं कर सकते. किसी भी चीज की अति बुरी होती है.
जिनको मधुमेह यानि कि डायबिटीज है उनके लिए गुड़ का प्रयोग भी शक्कर के जैसे ही बाधित होता है.
निष्कर्ष- अगर आप शक्कर के स्थान पर गुड़ का प्रयोग कर रहे हैं तो यह सर्वोत्तम है क्योंकि गुड़ अधिक गुणकारी हैं और इसमें कई प्रकार के खनिज हैं. लेकिन अगर आपको मीठा खाना मना है तो आपको गुड़ भी नहीं खाना चाहिये.
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